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Famous Heart Touching Ghazal in Hindi । Romantic Ghazal in Hindi

Famous Heart Touching Ghazal in Hindi । Romantic Ghazal in Hindi

यह सच है के तेरी भी नींदें उजड़ गयीं,
तुझ से बिछड़ के हम से भी सोया नहीं गया.


उस रात तू भी पहले सा अपना नहीं लगा,
उस रात खुल के मुझसे भी रोया नहीं गया.

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तमन्ना छोड़ देते हैं… इरादा छोड़ देते हैं,
चलो एक दूसरे को फिर से आधा छोड़ देते हैं।


ग़ज़ल शायरी

उधर आँखों में मंज़र आज भी वैसे का वैसा है,
इधर हम भी निगाहों को तरसता छोड़ देते हैं।


सब समझते हैं वही रात की किस्मत होगा,
जो सितारा बुलंदी पर नजर आता है।


मैं इसी खोज में बढ़ता ही चला जाता हूँ,
किसका आँचल है जो पर्बतों पर लहराता है।


मेरी आँखों में एक बादल का टुकड़ा शायद,
कोई मौसम हो सरे-शाम बरस जाता है।


दे तसल्ली कोई तो आँख छलक उठती है,
कोई समझाए तो दिल और भी भर आता है।


बाज़ार चले आये वफ़ा भी, ख़ुलूस भी
अब घर में बचा क्या है कोई सोचता भी है


वैसे तो ज़माने के बहुत तीर खाये हैं
पर इनमें कोई तीर है जो फूल सा भी है |


इस दिल ने भी फ़ितरत किसी बच्चे सी पाई है
पहले जिसे खो दे उसे फिर ढूँढता भी है।


मैं खुद भी सोचता हूँ…
मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है
जिसका जवाब चाहिए, वो क्या सवाल है |


घर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न था
क्या मुझसे खो गया है, मुझे क्या मलाल है |


आसूदगी से दिल के सभी दाग धुल गए
लेकिन वो कैसे जाए, जो शीशे में बल है |


बे-दस्तो-पा हू आज तो इल्जाम किसको दूँ
कल मैंने ही बुना था, ये मेरा ही जाल है |


फिर कोई ख्वाब देखूं, कोई आरजू करूँ
अब ऐ दिल-ए-तबाह, तेरा क्या ख्याल है।


ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है
क्यों देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम |


बेस्ट रोमांटिक ग़ज़ल्स इन हिंदी

माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके
कुछ ख़ार कम कर गए गुज़रे जिधर से हम।


हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे हैं मुझे
ये ज़िन्दगी तो कोई बद-दुआ लगे है मुझे |


जो आँसू में कभी रात भीग जाती है
बहुत क़रीब वो आवाज़-ए-पा लगे है मुझे |


मैं सो भी जाऊँ तो मेरी बंद आँखों में
तमाम रात कोई झाँकता लगे है मुझे |


मैं जब भी उस के ख़यालों में खो सा जाता हूँ
वो ख़ुद भी बात करे तो बुरा लगे है मुझे |


मैं सोचता था कि लौटूँगा अजनबी की तरह
ये मेरा गाँव तो पहचाना सा लगे है मुझे |


बिखर गया है कुछ इस तरह आदमी का वजूद
हर एक फ़र्द कोई सानेहा लगे है मुझे।


तस्वीर का रुख..
तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है
खैरात जो देता है वही लूटता भी है |


ईमान को अब लेके किधर जाइयेगा आप
बेकार है ये चीज कोई पूछता भी है |


कितने सामान कर लिए पैदा
इतनी छोटी सी ज़िन्दगी के लिए
चैन मिल जाए….


ऐसा फ़ैयाज़ ग़म ने घेरा है
लब तरस ही गए हंसी के लिए
चैन मिल जाए….


तेरी हर बात मोहब्बत में…
तेरी हर बात मोहब्बत में गंवारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके |


एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके |


मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगे
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके |


मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।


मंजिल …
पहर दिन सप्ताह महीने साल
मत देखों मंजिल की चाह में |


ये देखों कि कितना चले हो
और उसमें भी कितना भटके हो राह में |


यदि यह भटकाव कुछ कम हो जाए
और तेजी ला दो चाल में |


तो बहुत मुमकिन है कि कामयाबी
हांसिल हो जाए नए साल में।


हमीं ने अपनी आँखों से समन्दर तक निचोड़े हैं,
हमीं अब आजकल दरिया को प्यासा छोड़ देते हैं।


Romantic Ghazal in Hindi

हमारा क़त्ल होता है, मोहब्बत की कहानी में,
या यूँ कह लो कि हम क़ातिल को ज़िंदा छोड़ देते हैं।


हमीं शायर हैं, हम ही तो ग़ज़ल के शाहजादे हैं,
तआरुफ़ इतना देकर बाक़ी मिसरा छोड़ देते हैं।


कोई जाता है यहाँ से न कोई आता है,
ये दीया अपने ही अँधेरे में घुट जाता है।


भड़का रहे हैं आग…
भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम
ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम |


कुछ और बड़ गए अंधेरे तो क्या हुआ
मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-सहर से हम |


दामन है ख़ुश्क आँख भी चुप चाप है बहुत
लड़ियों में आंसुओं को पिरोया नहीं गया |


अलफ़ाज़ तल्ख़ बात का अंदाज़ सर्द है
पिछला मलाल आज भी गोया नहीं गया |

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अब भी कहीं कहीं पे है कालख लगी हुई
रंजिश का दाग़ ठीक से धोया नहीं गया।


चैन मिल जाए…..
कम नहीं मेरी ज़िन्दगी के लिए
चैन मिल जाए दो घडी के लिए |


दिले-ज़ार कौन है तेरा
क्यों तड़पता है यूं किसी के लिए
चैन मिल जाए…


तेरे कमाल की हद…
तेरे कमाल की हद कब कोई बशर समझा
उसी क़दर उसे हैरत है, जिस क़दर समझा |


Heart Touching Ghazal in Hindi

कभी न बन्दे-क़बा खोल कर किया आराम
ग़रीबख़ाने को तुमने न अपना घर समझा |


पयामे-वस्ल का मज़मूँ बहुत है पेचीदा
कई तरह इसी मतलब को नामाबर समझा |


न खुल सका तेरी बातों का एक से मतलब
मगर समझने को अपनी-सी हर बशर समझा।


एक कतरा मलाल भी बोया नहीं गया,
वो खौफ था के लोगों से रोया नहीं गया |

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