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दिल्लगी शायरी, Dillagi Shayari In Hindi, Dillagi Sad Status

दिल्लगी शायरी, Dillagi Shayari In Hindi, Dillagi Sad Status

Ab to mujhko log tere naam se pahchante hain
Dillagi mein rutba hamne bhi paya hain


Mere sanam ke dillage na poochho yaro, gair ka khat
lifafe mein rakh kar usapar mera he pata likh diyahai…


हमने भी बहुत दिल लगा कर देख लिया है
चलो थोड़ी दिल्लगी भी कर ले
जहां वफ़ा नहीं जीत सकी
थोड़ी बेवफाई ही आज़मा ले


Woh tere hosh o havas me berukhe achchhe na the
ya fir tere mukhtasar se dillage achchhe na the


अब तो मुझको लोग तेरे नाम से पहचानते हैं
दिल्लगी में रुतबा हमने भी पाया है।


Dillagi Shayari

Mohabbat ek bar he hote hai
tum ne jo ke vo dillage hai jo bar bar hote hai


हमने भी बहुत दिल लगा कर देख लिया है,
चलो थोड़ी दिल्लगी भी कर ले,
जहां वफ़ा नहीं जीत सकी,
थोड़ी बेवफाई ही आज़मा ले…


नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी,
किसी की आखरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी !!


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Maza a raha hai dilabar se dillage mein,
nazare bhe hame pe hai aur parda bhe hame se hai…..


दिल्लगी में बहुत जख्म मिले,
मेरा मेहबूब मुस्कुराता बहुत था।


Dillagi Shayari

दिल्लगी ही दिल्लगी में दिल गया
दिल लगाने का नतीजा मिल गया


अब लगा भी दिल तब दिल्लगी होगी
हम उस पे अपनी मुह्ब्बत तमाम कर आऐ!


Tumhare bad jo hoge vo dillage hoge ..
mohabbat vo the jo tum pe tamam kar baithe ..


तुम्हारे बाद जो होगी वो दिल्लगी होगी ..
मोहब्बत वो थी जो तुम पे तमाम कर बैठे ..
तीर पे तीर खाए जा और यार से लौ लगाये जा
आह न कर , लबों को सी..इश्क़ है दिल्लगी नहीं ..!


Hamane to bina soche he unase dillage kar le,
gar soch ke karate to kabhe muhabbat na hote !


तुझे महोब्बत कहा थी बस दिल्लगी थी ।।
वरना मेरे पल भर का बिछड़ना भी तेरे लिए क़यामत होता ।


Toote hue dil ne bhe usake lie dua mange,
na jane kaise dillage the us bevafa se,
mainne akhire khvahish mein bhe usake vafa mange..


Dillagi Shayari

बे-ज़ार हो चुके हैं बहुत दिल्लगी से हम
बस हो तो उम्र भर न मिलें अब किसी से हम


Ab isake bad laga dil to fir dillage hoge
ham tum par apane mohabbat tamam kar baithe


Kuchh pabande bhe lazame hai dillage ke lie..
kise se ishq agar ho to bepanah na ho


तुझे मोहबब्त कहा थी बस दिल्लगी थी
वरना मेरे पल भर का बिछड़ना भी तेरे लिए क़यामत होता


अच्छी नहीं होती है गरीबों से दिल्लगी
टूटा कहीं जो दिल तो बनाया न जायेगा


Hamare kadr unako hoge tanhaeyo mein ek din,
abhe to bahut log hain unake pas dillage karane ko….!!


धड़कनें बढ़ा गई उसकी जरा सी दिल्लगी
खुदा करे उसका मजाक ही सच हो जाए


Dhadakanen badha gae . usake jara se dillage ..
khuda kare usaka majak he sach ho jae …


दिल्लगी में बहुत जख्म मिले
मेरा मेहबूब मुस्कुराता बहुत था


टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी
न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से
मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी


Maut se pahle, hamein to dillagi ne mara hai
Noor ke deewane hai, kasoor nazaron ka sara hai


Dillagi Shayari

तुम्हारे बाद जो होगी वो दिल्लगी होगी
मोहब्बत वो थी जो तुम पे तमाम कर बैठे


Hamne bhi bahut dil laga kar dekh liya
Chalo thodi dillagi bhi kar le
Jahan wafa nahin jeet saki
Todi bewafai hi aajma le


दूरियां बढ जाए या फासले हो दरमियान
धडकन थम जाए चाहे होठ हो बेजबान
दिल्लगी रहेगी शादाब इश्क़ रहेगा नौजवान
दुनिया की किसे फिक्र जब तु है मेहरबान


ना तोल मेरी मोहब्बत को अपनी दिल्लगी से,
देख कर मेरी चाहत को अक्सर तराजू भी टूट जाते हैं


हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन,
अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को….!!


कोई दिल की ख़ुशी के लिए.,,, तो कोई दिल्लगी के लिए.
हर कोई प्यार ढूंढ़ता है यहाँ.,,, अपनी तनहा सी ज़िन्दगी के लिए…!!!!


धड़कनें बढ़ा गई . उसकी जरा सी दिल्लगी ..
खुदा करे उसका मजाक ही सच हो जाए …


एक सवाल छोड़ गए आज   भी वो मेरे जहन में…
कि ये रिश्ता मोहब्बत का था या सिर्फ़ दिल्लगी…!!!


Dillagi Shayari

माना दोस्त, कि दिल्लगी तेरी फ़ितरत नहीं,
फ़िर वाबस्तगी मुझसे, क्यों तेरी हसरत नहीं !


मज़ा आ रहा है दिलबर से दिल्लगी में,
नज़रे भी हमी पे है और पर्दा भी हमी से है…..


हमने तो बिना सोचे ही उनसे दिल्लगी कर ली,
गर सोच के करते तो कभी मुहब्बत ना होती !


मोहोब्बत एक बार ही होती है
तुम ने जो की वो दिल्लगी है जो बार बार होती है


दिल्लगी करते सभी हैं,दिल लगाते हैं नहीं..
दर्दे-दिल की है दवा क्या,?ये बताते हैं नहीं..


वोह तेरी होश ओ हवास मे बेरुखी अच्छी ना थी
या फिर तेरी मुख़्तसर सी दिल्लगी अच्छी ना थी


Dillagi Shayari

मुख्तसर सी दिल्लगी से तो तेरी बेरुखी अच्छी थी
कम से कम ज़िंदा तो थे एक कस्मकस के साथ


कुछ पाबंदी भी लाज़मी है दिल्लगी के लिए..
किसी से इश्क़ अगर हो तो बेपनाह न हो


इश्कवाले हैं हम भी जज्बातों की कदर जानते हैं,
नहीं करते हैं दिल्लगी किसी से दीवानों की कदर जानते है


दिल की इस लगी को न दिल्लगी समझिए ,
मौत का सामान है इश्क इसको न जिंदगी समझिए


अब इसके बाद लगा दिल तो फिर दिल्लगी होगी
हम तुम पर अपनी मोहब्बत तमाम कर बैठे


चाहत का दिल में नामो-निशाँ ना रहे,
या तो ख़त्म हो कशमकश तेरी, या मेरी दिल्लगी का आशियाँ ना रहे…


तुम्हारी दिल्लगी देखो, हमारे दिल पर भारी है,
तुम तो चल दिए हंसकर, यहाँ बरसात जारी है..!!!


कुछ -ऐसी -बेरुखी से तकता है हमको दिलबर,
अब दिल्लगी भी उसकी दिलकी लगी लगी है


Ab to mujhako log tere nam se pahachanate hain
dillage mein rutaba hamane bhe paya hai.


Nasem-e-subah gulashan mein gulon se khelate hoge,
kise ke akhare hichake kise ke dillage hoge !!


Ab laga bhe dil tab dillage hoge
ham us pe apane muhbbat tamam kar aai!


Dillagi Shayari

Dillagi shayari in hindi dillage shayari
kise ne dillage jana,magar hamara dil
khuda ka ghar tha,musafir qiyam rakhate the.!!


Ter pe ter khae ja aur yar se lau lagaye jaah na kar , labon ko se..ishq hai dillage nahin ..!


Dillage mein bahut jakhm mile, mera mehaboob muskurata bahut tha.


Tujhe mahobbat kaha the bas dillage the .. varana mere pal bhar ka bichhadana bhe tere lie qayamat hota .


Jitane vafa the mujhame, sab khatm ho gaye hai .
a jao ishq mein dilalage karane valo,
ki, mujhame ab sirf, bevafae rah gaye hai ..


Dillage kar jindage se, dil laga ke chal….
jindage hai thode, hamesha muskurate chal..!!


Na tol mere mohabbat ko apane dillage se,
dekh kar mere chahat ko aksar tarajoo bhe toot jate hain


Tujhe hak diya hai mainne, mere sath dillage ka..
mere dil se khel jab tak tera dil bahal na jae…!?


Behatar to hai yahe ke na duniya se dil lage..
par kya karen jo kam na be-dillage chale|| ~zauk


Koe dil ke khushe ke lie.,,, to koe dillage ke lie.
har koe pyar dhoondhata hai yahan.,,, apane tanaha se zindage ke lie…!!!!


Dillagi Shayari

Ek saval chhod gae aj   bhe vo mere jahan mein…
ki ye rishta mohabbat ka tha ya sirf dillage…!!!


Mile vo yar jo dil ke laga kar
hamen bahala rahe hain dillage se


Mana dost, ki dillage tere fitarat nahin,
fir vabastage mujhase, kyon tere hasarat nahin !


Dillage he dillage mein dil gaya
dil lagane ka nateja mil gaya


Be-zar ho chuke hain bahut dillage se ham
bas ho to umr bhar na milen ab kise se ham


Mukhtasar se dillage se to tere berukhe achchhe the
kam se kam zinda to the ek kasmakas ke sath


Qalam uthate hain, kagaz se dillage karate hain.
lafzon ke shahar mein ek pak mohabbat karate hain.
chalie… kuchh likhate hain…


Maut se pahale hamen to dillage ne mara hai
noor ke devane hai kusoor nazaron ka sara hai


Dil ke is lage ko na dillage samajhie ,
maut ka saman hai ishk isako na jindage samajhie


Chahat ka dil mein namo-nishan na rahe,
ya to khatm ho kashamakash tere, ya mere dillage ka ashiyan na rahe…


अब तो मुझको लोग तेरे नाम से पहचानते हैं
दिल्लगी में रुतबा हमने भी पाया है


AB laga bhi dil tab dillagi hogi
Ham us pe apni mohabbat tamaam kar aaye


Dillagi Shayari

कुछ यूँ हुआ हाल दिल्लगी में चोट खाकर
वफाए फितरत में रह गई और मोहब्बत से वास्ता न रहा


ना तोल मेरी मोहब्बत को अपनी दिल्लगी से
देख कर मेरी चाहत को अक्सर तराजू भी टूट जाते है


मौत से पहले हमें तो दिल्लगी ने मारा है
ऩूर के दीवाने है कुसूर नज़रों का सारा है


Tujhe haq diya hain maine, mere sath dillagi ka
Mere dil se khel jab tak tera dil bahal na jaye


Koi dil ki khushi ke liye to koi dillagi ke liye
Har koi pyar dhoondhta hai yahan apni tanha si zindagi ke liye


दिल्लगी नाम रख दिया किसने
दिल जलाने का जी से जाने का


एक सवाल छोड़ गए आज भी वो मेरे जहन में
कि ये रिश्ता मोहब्बत का था या सिर्फ़ दिल्लगी


मिले वो यार जो दिल की लगा कर
हमें बहला रहे हैं दिल्लगी से


Mile wo yaar jo dil ki laga kar
Hamein bahla rahe hain dillagi se


Hamari kadr unko hogi tanhaiyon mein ek din
Abhi to bahut log hai unke paas dillagi karne ko


माना दोस्त, कि दिल्लगी तेरी फ़ितरत नहीं
फ़िर वाबस्तगी मुझसे, क्यों तेरी हसरत नहीं

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Maza aa raha hai dilbar se dillagi mein
Nazare bhi hami pe hai aur parda bhi hami se


Dil todna kisi ka ye zindagi nahi
Ibadat thi meri koi dillagi nahi


Dillagi hi dillagi mein dil gaya
Dil lagane ka natiza mil gaya


दिल्लगी करते सभी हैं, दिल लगाते हैं नहीं
दर्दे-दिल की है दवा क्या, ये बताते हैं नहीं


कुछ पाबंदी भी लाज़मी है दिल्लगी के लिए
किसी से इश्क़ अगर हो तो बेपनाह न हो


दोस्त बनकर इस कदर दुश्मनी की है
जैसे नाजुक आईने से दिल्लगी की है
जो इक नजर देखने से ही बिखर गया
यूँ रोकर, बसर हमने जिंदगी की है


क़लम उठाते हैं, काग़ज़ से दिल्लगी करते हैं
लफ़्ज़ों के शहर में एक पाक मोहब्बत करते हैं
चलिए… कुछ लिखते हैं…


दिल का दर्द एक राज बनकर रह गया
मेरा भरोसा मजाक बनकर रह गया
दिल के सोदागरो से दिललगी कर बैठे
शायद इसीलिए मेरा प्यार इक अल्फाज बनकर रह गया


इश्कवाले हैं हम भी जज्बातों की कदर जानते हैं
नहीं करते हैं दिल्लगी किसी से दीवानों की कदर जानते है


Dil ki is lagi ko na dillagi samjhiye
Maut ka saman hai ishq, isko na zindagi samjhiye


चाहत का दिल में नामो-निशाँ ना रहे
या तो ख़त्म हो कशमकश तेरी
या मेरी दिल्लगी का आशियाँ ना रहे


कुछ ऐसी बेरुखी से तकता है हमको दिलबर
अब दिल्लगी भी उसकी दिल की लगी है

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