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Tere sath barish mein bhigne ka

तेरे साथ बारिश में भीगने का ख्वाब आज भी अधूरा है… जब भी बारिश होती है तो बाहें फैला कर तुझे महसूस कर लेते हैं..

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Mili hai ruuh toh rasmo ki

मिली हैं रूहें तो रस्मों की बंदिशें क्या है यह जिस्म तो ख़ाक हो जाना है फिर रंजिशें क्या है …..

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Yaad aata hai weh pyaar unka ki uske pyaar ko

“याद आता है वह प्यार उनका कि उसके प्यार को दिल से मिटाऊं कैसे, वह तो औरों के साथ खुश है पर मैं अपना दिल गैरों से लगाऊ कैसे”

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