Kabhi Na Rukna Kabhi Na Jhukna Raah Bhale
कभी न रुकना – कभी ना झुकना, राह भले पथरीली हो
चाहे पानी शोला उगले, चाहे आग भी गीली हो
तुम्हें तलाश है जिस मंजिल की, उसे तुम्हें ही पाना है
चट्टानों को तोड़-तोड़ कर, रस्ता नया बनाना है ।
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कभी न रुकना – कभी ना झुकना, राह भले पथरीली हो
चाहे पानी शोला उगले, चाहे आग भी गीली हो
तुम्हें तलाश है जिस मंजिल की, उसे तुम्हें ही पाना है
चट्टानों को तोड़-तोड़ कर, रस्ता नया बनाना है ।
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