ये जो हलकी सी फ़िक्र करते हो न हमारी बस इसलिए हम बेफिक्र रहने लगे हैं।
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ये जो हलकी सी फ़िक्र करते हो न हमारी बस इसलिए हम बेफिक्र रहने लगे हैं।
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मेरी ज़िन्दगी के “तालिबान” हो तुम…बेमक़सद तबाही मचा रखी है
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जो मैं रूठ जाऊँ तो तुम मना लेना,कुछ न कहना बस सीने से लगा लेना।
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मैंने तो देखा था बस एक नजर के खातिर,क्या खबर थी की रग रग में समां जाओगे तुम
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क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे… और तुम गले लगा के कहो, “और कुछ”
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तुम्हारी दुनिया में हमारी चाहे कोई किमत ना हो ,मगर हमने हमारी दुनिया में तुम्हे रानी का दर्जा दे रखा है ..
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एक तो सुकुन और एक तुम,कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नही
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कल ही तो तौबा की मैंने शराब से.. कम्बख्त मौसम आज फिर बेईमान हो गया।
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बडी लम्बी खामोशी से गुजरा हूँ मै, किसी से कुछ कहने की कोशिश मे
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याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ, भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है।
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मैं ‘गलती’ करूँ तब भी मुझे ‘सीने’ से लगा ले, कोई’ ऐसा चाहिये, जो मेरा हर ‘नखरा’ उठा ले।
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लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों, किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।
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क्यों मदहोश करती है मुझे मौजूदगी तेरी , कहीं मुझे तुमसे प्यार तो नहीं हो गया ।
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वो क़त्ल कर के भी मुंसिफों में शामिल है, हम जान देकर भी जमाने में खतावार हुए।
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कौन डूबेगा किसे पार उतरना है ज़फ़र, फ़ैसला वक़्त के दरिया में उतर कर होगा।
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दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई, हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए।
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शौक-ए-सफ़र कहाँ से कहाँ ले गया हमें, हम जिस को छोड़ आये हैं मंजिल वही तो थी।
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सुबूत हैं मेरे घर में धुएँ के ये धब्बे, अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है।
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मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना, यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जाना।
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हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो, लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने।
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