एक आख़री ख़त.. लिखने कि ख़्वाहिश थी मेरी… पर सुना है पता बदल गया है उनका…
एक आख़री ख़त.. लिखने कि ख़्वाहिश थी मेरी… पर सुना है पता बदल गया है उनका…
बातें मंज़िलों की तू न कर मुझसे, है हमसफ़र… तो मेरे साथ आ !!
तेरे साथ बारिश में भीगने का ख्वाब आज भी अधूरा है… जब भी बारिश होती है तो बाहें फैला कर तुझे महसूस कर लेते हैं..
जख्मी हथेलियों का सबब ना पूछो क्या है, एक लकीर खींची है तुम्हें पाने के खातिर.
एक रूह ने जाते हुए एक जिस्म से कहा, ले देख ले अब तेरी क्या औकात रह गयी !!
मिली हैं रूहें तो रस्मों की बंदिशें क्या है यह जिस्म तो ख़ाक हो जाना है फिर रंजिशें क्या है …..
मिलोगे हमसे तो कायल हो जाओगे . . . दूर से देखने पर हम ज़रा मगरूर दिखते है . .
मैं फकीर ही बन जाऊंगा तेरी खातिर, कोई डाले तो सही मेरी झोली में तुझे। देखा हर जगह पर इश्क़ का दर नही आया ….. !!
दिल की धडकनें दुआएँ माँगती है रात दिन, फिर भी क्यूँ लगता है कुछ कम माँगा है तेरे लिये !!
कभी शब्दो में तलाश न करना वज़ूद मेरा, मैं उतना लिख नहीं पाता जितना महसूस करता हूँ.
यूँ ही भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है…
Life is art of drawing without eraser
छू लो मुझे तुम यूं ज़रा सा ऐ सनम, मैं मर भी जाऊँ तो मुझसे तेरी खुशबू आये..
मुनासिब फासला रखिये, मेरा ये तुजुर्बा है,,,,,,,,,,,, बहुत नज़दीकियों में भी, घुटन महसूस होती है………
“याद आता है वह प्यार उनका कि उसके प्यार को दिल से मिटाऊं कैसे, वह तो औरों के साथ खुश है पर मैं अपना दिल गैरों से लगाऊ कैसे”
घटाएं आ लगीं हैं आसमां पे, दिन सुहाने हैं… हमारी मजबूरी,हमें बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं..
रोया बहुत हूँ पत्थरों पे सिर को पटक के, खून बहूत निकला, तकदीर नहीं बदली ll
रहे न कुछ मलाल बड़ी शिद्दत से कीजिये नफरत भी कीजिये ज़रा मुहब्बत से कीजिये