Jo Karna Nahi Chahta Kiye Ja Rha Hu – Hindi Kavita
Jo Karna Nahi Chahta Kiye Ja Rha Hu – Hindi Kavita
“जो करना नहीं चाहता किये जा रहा हूँ ,
शायद अपने तरीके से जीना चाहता हूँ,
फिर भी औरों के लिए जिये जा रहा हूँ ,
ना जाने किस बात की खुद को झूठी तस्सली दिये जा रहा हूँ ,
किसी से बात हो तो कहूं उससे की,
शायद मैं भी दुनिया के तौर तरीके में उलझा जा रहा हूँ ,
लगता है थम सी गई है ज़िंदगी यादों के सुनहरे पन्नों में,
उन्हीं यादों के सहारे जिये जा रहा हूँ ,
क्योंकि जो करना नहीं चाहता किये जा रहा हूँ..”
Jo Karna Nahi Chahta Kiye Ja Rha Hu – Hindi Kavita
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