Karne lage jab sikba usse uski bewafai ka
करने लगे जब शिकवा उससे उसकी बेवफाई का
रख कर होंट को होंट से खामोश कर दिया
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रख कर होंट को होंट से खामोश कर दिया
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रोज़ रोज़ गिर कर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
In "2 Line Shayari"
वो क़त्ल कर के भी मुंसिफों में शामिल है, हम जान देकर भी जमाने में खतावार हुए।
In "2 Line Shayari"
कौन डूबेगा किसे पार उतरना है ज़फ़र, फ़ैसला वक़्त के दरिया में उतर कर होगा।
In "2 Line Shayari"
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