Koi Badnaseeb Koi Mukadar Ka Sikander Kyun Hai – -Hindi Poem
Koi Badnaseeb Koi Mukadar Ka Sikander Kyun Hai – -Hindi Poem
तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है…
कहीं अपनापन तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है…
सुना है तू हर ज़रे में है रहता,
फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है…
जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं,
फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है..
तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर,
फिर कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर
क्यों है..
😞✍️
Koi Badnaseeb Koi Mukadar Ka Sikander Kyun Hai – -Hindi Poem
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