Sauk-e-safar kaha se kaha le gaya hume
शौक-ए-सफ़र कहाँ से कहाँ ले गया हमें,
हम जिस को छोड़ आये हैं मंजिल वही तो थी।
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शौक-ए-सफ़र कहाँ से कहाँ ले गया हमें,
हम जिस को छोड़ आये हैं मंजिल वही तो थी।
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एक तो सुकुन और एक तुम,कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नही
In "2 Line Shayari"
लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों, किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।
In "2 Line Shayari"
सुबूत हैं मेरे घर में धुएँ के ये धब्बे, अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है।
In "2 Line Shayari"
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