मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर, Mirza Ghalib Famous Shayari Collection तुम से बेजा है मुझे अपनी तबाही का गिला उसमें कुछ शाएबा-ए-ख़ूबिए-तक़दीर भी था ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उस का आसमाँ क्यूँ हो कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार […]