कभी न रुकना – कभी ना झुकना, राह भले पथरीली हो चाहे पानी शोला उगले, चाहे आग भी गीली हो तुम्हें तलाश है जिस मंजिल की, उसे तुम्हें ही पाना है चट्टानों को तोड़-तोड़ कर, रस्ता नया बनाना है ।
कभी न रुकना – कभी ना झुकना, राह भले पथरीली हो चाहे पानी शोला उगले, चाहे आग भी गीली हो तुम्हें तलाश है जिस मंजिल की, उसे तुम्हें ही पाना है चट्टानों को तोड़-तोड़ कर, रस्ता नया बनाना है ।
अगर कल का दिन अच्छा था तो रुकिए नहीं, हो सकता है, आपकी जीत का सिलसिला बस अभी शुरू ही हुआ हो। सुप्रभात !
मदद केवल धन से नहीं किया जाता मदद के लिए सच्चा मन भी काफी है संघर्ष और प्रतिस्पर्धा करनी है तो उस व्यक्ति से करिए जो आप कल थे प्रशंसक प्रसिद्ध व्यक्तियों को पहचानते हैं किंतु शुभचिंतकों की पहचान स्वयं ही करनी पड़ती है। ।