हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो, भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो।
Dil ka mausam kabhi toh khusgabar ho jaye
दिल का मौसम कभी तो खुशगवार हो जाये,एक पल को सही तुझे भी मुझसे प्यार हो जाये…
हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो, भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो।
होती नहीं है मोहब्बत सूरत से, मोहब्बत तो दिल से होती है, सूरत उनकी खुद-ब-खुद लगती है प्यारी, कदर जिनकी दिल में होती है..
दिल का मौसम कभी तो खुशगवार हो जाये,एक पल को सही तुझे भी मुझसे प्यार हो जाये…
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