मैं ‘गलती’ करूँ तब भी मुझे ‘सीने’ से लगा ले, कोई’ ऐसा चाहिये, जो मेरा हर ‘नखरा’ उठा ले।
मैं ‘गलती’ करूँ तब भी मुझे ‘सीने’ से लगा ले, कोई’ ऐसा चाहिये, जो मेरा हर ‘नखरा’ उठा ले।
लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों, किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।
क्यों मदहोश करती है मुझे मौजूदगी तेरी , कहीं मुझे तुमसे प्यार तो नहीं हो गया ।
वो क़त्ल कर के भी मुंसिफों में शामिल है, हम जान देकर भी जमाने में खतावार हुए।
कौन डूबेगा किसे पार उतरना है ज़फ़र, फ़ैसला वक़्त के दरिया में उतर कर होगा।
दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई, हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए।
शौक-ए-सफ़र कहाँ से कहाँ ले गया हमें, हम जिस को छोड़ आये हैं मंजिल वही तो थी।
सुबूत हैं मेरे घर में धुएँ के ये धब्बे, अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है।
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना, यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जाना।
हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो, लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने।
चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है, वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है।
बिगाड़ के रख देती है ज़िन्दगी का चेहरा, ए-मोहब्बत… तू बड़ी तेजाबी चीज़ है।
रोज़ रोज़ गिर कर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
मिलने को तो हर शख्स एहतराम से मिला, पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला।
जिसके लफ़्ज़ों में हमे अपना अक्स मिलता है, बड़े नसीबों से ऐसा कोई शख़्स मिलता है।
लोग तलाशते है कि कोई… फिकरमंद हो, वरना कौन ठीक होता है यूँ हाल पूछने से।
तबाह होकर भी तबाही दिखती नही, ये इश्क़ है इसकी दवा कहीं बिकती नहीं।
करने लगे जब शिकवा उससे उसकी बेवफाई का रख कर होंट को होंट से खामोश कर दिया
तरस गये है हम तेरे मुंह से कुछ सुनने को हम प्यार की बात न सही कोई शिकायत ही कर दे
तुम नहीं हो पास मगर तन्हाँ रात वही है वही है चाहत यादों की बरसात वही है हर खुशी भी दूर है मेरे आशियाने से खामोश लम्हों में दर्द-ए-हालात वही है