Thoda Sa Thaka Hu Magar Ruka Nahi Hu – Hindi Poem
Thoda Sa Thaka Hu Magar Ruka Nahi Hu – Hindi Poem
थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ
ऐ ज़िन्दगी तेरी हालातों के आगे अभी झुका नही हूँ।
कांच के रिश्ते लिए फिर रहा हूँ इन पत्थरों के शहर में
ठोकरें लग रही है मगर अभी तक टूटा नहीं हूँ।
हम मिले थे शायद किसी रह गुज़र में कभी, गर याद हो तुझे
यकी कर आज भी उस मुलाकात को भुला नहीं हूँ।
यूं तो गम की बारिश रही मुझ पर मुसलसल
पर ख़ुदा के सजदे में कभी भीगा नही हूँ।
जितने थे तूफ़ान सब गुज़र गए मेरी लौ से
जाने किसकी दुआ है जो अभी तक बुझा नही हूँ।
Thoda Sa Thaka Hu Magar Ruka Nahi Hu – Hindi Poem
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