Wo Bate Mere Hi Zahen Mein Sab Dabi Nikli – Hindi Kavita
Wo Bate Mere Hi Zahen Mein Sab Dabi Nikli – Hindi Kavita
वो बोलता रहा इक बात ना नयी निकली,
जो उसने बोला वो सब बात ही कही निकली!
zसुनाता सबको अगर मैं कहीं गलत होता,
यकीन मानो न मुझमें कोई कमी निकली!
जो शक था मेरा मेरे वो भी सामने आया,
खुशी हुई कि मेरी उलझने सही निकली!
मुझे तलाश थी जिस चीज़ की जमाने में,
वो चीज मेरे ही आंगन में तब छुपी निकली!
भुलाना चाहा तो वो याद फिर बहुत आयी,
वो बातें मेरे ही
Wo Bate Mere Hi Zahen Mein Sab Dabi Nikli – Hindi Kavita
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