औकात शायरी स्टेटस, Aukat Shayari, Akad Aukat Attitude Status
औकात शायरी स्टेटस, Aukat Shayari, Akad Aukat Attitude Status
शाखों से गिर कर टूट जाऊ, मै वो पत्ता नही
आंधियो से कह दो कि अपनी औकात मे रहें
कागज की कश्ती लेकर दरिया पार करते हो,
समझाता हूँ तो तुम औकात की बात करते हो.
मेरी औकात से बाहर
मुझे कुछ न देना मेरे मालिक क्योंकि,
ज़रूरत से ज़्यादा रोशनी भी
इंसान को अंधा बना देती है!!
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आदतें बुरी नहीं शौक ऊँचे हैं
वरना किसी ख्वाब की इतनी औकात नहीं कि
हम देखें और पूरा न हो
अगर आपको अपनी औकात देखनी है,
तो पिता के पैसों का इस्तेमाल करना छोड़ दें…
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Aukat Shayari
औकात दिखाने के चक्कर में हर कोई दुखी है,
जो शराफ़त से जी रहा है वहीं सुखी है.
मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है
तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है
भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ
तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है
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अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ
जिनकी हमे छुने की औकात नहीं होती
वो मेरी न हुई तो ईसमेँ हैरत की कोई बात नहीँ
क्योँकि शेर से दिल लगाये बकरी की ईतनी औकात नही
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Aukat Shayari
Attitude तो बच्चे दिखाते है
हम तो लोगो को उनकी औकात दिखाते है
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औकात दिखा देती है एक दिन मोहब्बत भी
इसलिए खुद से ज्यादा चाहत किसी की मत रखना
उसकी औकात का उसे एहसास जरुरी था
शीशा था, टूटना जरुरी था
Aukat Shayari
तेरी तो इतनी भी औकात नहीं
की तुझसे नफरत करूँ
ना जाने कैसे मोहब्बत हो गई
झूठ इसलिए बिक जाता है क्योंकि
सच को खरीदने की सबकी औकात नहीं होती
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खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धुल का
मगर दो बून्द बारिश ने औकात बता दी
ऐ दिल तू ज़रा कम ही हसरतें पाला कर
बस तू अपनी औकात के हिसाब के ख्वाब देखा कर
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सब की औकात है बस सफ़ेद चादर
और वो भी खुद से ओढ़ने की ताकत न होगी
अब मैं तुझे अपने शब्दों में जगह दूँ
ऐसी तुझमे कोई बात नहीं
अब मैं तेरे बारे में लिखू
इतनी तेरी औकात नहीं
Aukat Shayari
आइना दिखाता है रोज़
औकात चेहरों की
वो बार बार औकात की बात करता है
इसे वक़्त के बारे में बता दो कोई
बुरे वक़्त के साथ जो मैंने अपनी मुलाकात देख ली
किसी की सच्चाई और किसी की औकात देख ली
चाहत है खुद का नाम करूँ
औकात से बाहर के काम करूँ
अपनी औकात भूल जाए
इतने अमीर भी नहीं है हम
और तुम हमें हमारी औकात बताओ
इतने फ़क़ीर भी नहीं है हम
मेरी औकात से बढ़ कर
मुझे कुछ न देना मेरे मालिक
क्योंकि रोशनी भी अगर जरुरत से ज्यादा हो
तो इंसान को अँधा बना देती है
कहां कोई मुझमें ऐसी बात मौला
तेरे दम से मेरी औकात मौला
एड़िया उठा कर चलने से कद नहीं बढ़ता
रकीबों से कह दो, अपनी औकात मे रहें
Aukat Shayari
औकात नहीं थी ज़माने में जो हमारी कीमत लगा सके
कम्बख्त इश्क़ में क्या गिरे मुफ्त में नीलम हो गए
कितने कमजर्फ है ये गुब्बारे
चन्द सांसो में फूल जाते है
नीच को जब उरूज मिलता है
अपनी औकात भूल जाते है
चीज़ों से हो रही है पहचान आदमी की
औकात अब हमारी बाजा़र लिख रहे हैं
जूते फटे पहन आकाश पे चढ़े थे
सपने हमेशा हमारे औकात से बङे थे
मोहब्बत तू मुझे अपनी औकात तो बता
तू ना ही लफ्जों में पूरी होती है न हकीकत में
आज हमसे वो पूछ रहे है हमारी औकात
जो हमारी रहमतों के कर्जदार आज भी हैं
मैं चीज़ बिकाऊ नहीं…..क़ीमत लगा मग़र
मैं अपने ख़रीदार की…औक़ात तो देखूँ
Aukat Shayari
हर सम्त रौशनी थी मुझे पूछता भी कौन
बुझते हुए च़राग़ की औक़ात कुछ नही
नज़रों से घमण्ड का पर्दा भी हटाएगा
वक़्त ही तुझे तेरी औक़ात दिखाएगा
यूँ तो ठिकाने बहुत थे दुनिया में
पर मैंने रहने के लिए अपनी ‘औक़ात’ को चुना
चूर हो गयी सारी चमक हथौड़े की चोट से
हीरे की औक़ात ही क्या थी जौहरी के सामने
तेरी औकात से ज्यादा की थी मोहब्बत तुझसे
अब नफ़रत का आलम है, सोच तेरा क्या होगा
वो फरेब के इरादे, बेफ़िज़ूल की चाहत क्यूँ थी
निभाने की औक़ात न थी, तो रिश्तों के नाटक क्यूँ थे
औक़ात तो तेरी धूल जितनी भी न थी
वो हम थे जिसने तुझको पर्वत बना रखा था
तुझे जीतना मुश्किल था अपना ग़ुरूर हारकर
ऐ सनम! तेरी मोहब्बत मेरी औक़ात के बाहर है
कुछ लोग अपनी औक़ात दिखा देते हैं
गिराने की फ़िराक़ में बस इल्जाम लगा देते हैं
ये इंसान भी कितने अजीब काम करता है
मिट्टी की औक़ात लेकर दौलत पे गुमान करता है
इश्क़ में अमीरी-ग़रीबी देखी नहीं जाती है,
क्योंकि औकात से मोहब्बत की नहीं जाती है.
Aukat Shayari
दिलों से नफ़रत मिटाये जा रहा हूँ,
इश्क़ की औकात दिखाए जा रहा हूँ.
नज़रों से घमण्ड का पर्दा भी हटाएगा,
वक़्त ही तुझे तेरी औक़ात दिखाएगा.
कुछ लोगों की वफ़ा की ज़ात नहीं होती
रिश्ते तो बना लेते हैं, बस निभाने की औक़ात नहीं होती
पत्थर-सा दिल, उसमें जज़्बात नहीं
सुन बेवफा! तेरे ‘इश्क़’ की औक़ात नहीं
दौलत से औकात नापी जाए जहाँ,
क्या इंसान की कद्र होगी वहाँ।
ये इंसान भी कितने अजीब काम करता है
मिट्टी की औक़ात लेकर दौलत पर गुमान करता है.
कुछ लोग अपनी औक़ात दिखा देते हैं
गिराने की फ़िराक़ में बस इल्जाम लगा देते हैं.
तुम मुझे अपनी औकात क्यों दिखाते हो,
जिनके पास होती है वो कुछ करके दिखाते है.
चाहत है खुद का नाम करूँ
औकात से बाहर के काम करूँ
ये शान-ओ-शौकत, ये रुतबा कहीं और दिखाना
ये चीज़ ‘औक़ात’ अक्सर बदलती रहती है
बनाने वाले ने एक समान जिस्म बनाया,
फिर ये ‘औकात’ इंसान का कहाँ से आया.
पत्थर-सा दिल, उसमें जज़्बात नहीं
सुन बेवफा! तेरे ‘इश्क़’ की औक़ात नहीं
कुछ लोगों की वफ़ा की ज़ात नहीं होती,
रिश्ते तो बना लेते हैं, बस निभाने की औक़ात नहीं होती।
औकात की बात वही करते है,
जिनकी कोई औकात नहीं होती है.
Aukat Shayari
वैसे तो पूरी दुनिया हमारी दीवानी है
हाँ भूल गए है कुछ लोग औकात अपनी
वक्त रहते उन्हें उनकी औकात याद दिलानी है
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी
बुरे वक्त से मैंने मुलाक़ात की है,
अपनों की मैंने औकात देख ली है.
मेरी औकात दिखा रहे हो,
जल्दी अमीर हुए हो क्या,
गुरूर तुम सा ही था मेरा
पर देखो मेरा हाल है क्या?
अब मैं तुझे अपने शब्दों में जगह दूँ
ऐसी तुझमे कोई बात नहीं
अब मैं तेरे बारे में लिखू
इतनी तेरी औकात नहीं
कितने कमजर्फ है ये गुब्बारे
चन्द सांसो में फूल जाते है
नीच को जब उरूज (तरक्की) मिलता है
अपनी औकात भूल जाते है
अपनी औकात भूल जाए
इतने अमीर भी नहीं है हम
और तुम हमें हमारी औकात बताओ
इतने फ़क़ीर भी नहीं है हम
झूठ इसलिए बिक जाता है क्योंकि
सच को खरीदने की सबकी औकात नहीं होती
बुरे वक्त की भी क्या बात होती है,
वो भी सलाह देता है जिसक कोई औकात नहीं होती है.
छोटे लोग है ख्वाहिशें बड़ी है,
औकात कौड़ी की है, और सिफारिशे बड़ी है.
खुद कुछ करके दिखाने की औकात नहीं,
औरो में कमियां निकालने का कोई फायदा नहीं।
बिगड़े वक्त में सच्चा दोस्त ही हालात पूछता है,
वरना हर कोई सबसे पहले औकात पूछता है.
मेरी दौलत को जो मेरी औकात समझता है,
शायद वो दोस्त मुझको नहीं समझता है.
जब दुश्मनों की दुश्मनी अच्छी लगने लगती है,
तो दुश्मनों को अपनी औकात पता लगने लगती है.
इज्ज़त दोगे तो इज्ज़त पाओगे,
औकात दिखाओगे तो बड़ा पछताओगे।
औकात तो उसकी बड़ी होती है साहब,
जो गरीबों से भी इज्जत से बात करें।
इंसानी जिस्म महज मिट्टी और धूल है,
औकात, दौलत, अकड़ महज इंसानी भूल है.
मेहनत से जो पायी जाए
वही औकात बताता है,
ज्यादा परिश्रम करने वाला
सबसे बड़ा धन विनम्रता पाता है.
औकात नहीं थी जमाने की,
जो मेरी कीमत लगा सके,
कम्बख्त इश्क़ में क्या गिरे
मुफ़्त में नीलाम हो गए.
गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,
इनकी कोई जात न पूछो तो अच्छा हैं.
दौलत हो तो औकात नजर आती है,
नम्रता हो तो बड़प्पन बढ़ जाती है.
ना कर जिद, अपनी औकात में रह ऐ दिल,
वो बड़े लोग है अपने शौक से याद करते है.
सूखा हुआ पत्ता साखों से टूट जाता है,
औकात की बात मत कर सब कुछ यही छूट जाता है.
अपनों ने हमारी औकात बताई थी,
हमने तो शराफ़त से हुनर दिखाई थी.
काम निकल जाए तो औकात दिखते है लोग,
वरना पाँव पकड़कर गिड़गिड़ाते है लोग.
वो मेरी नहीं हुई तो इसमें हैरत की कोई बात नहीं,
क्योंकि शेर से दिल लगाये बकरी की इतनी औकात नहीं।
जो दिखाया जाए वो औकात नहीं,
बिना बोले पता चल जाए वही औकात है.
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औकात का पता होना जरूरी है,
अगर शीशा है तो टूटना जरूरी है.
आँच क्या लगी दूध उबाल खाने लगा,
एक बूँद पानी ने उसकी औकात दिखा दी.
दोस्ती को दौलत की तराजू पर मत तोलो,
वफ़ा करने की औकात गरीबी में ही है.
जिनकी औकात नहीं आँख से आँख मिलाने की,
अब वो भी बात करने लगे है घर से उठाने की.
इश्क़ सच्चा हो तो जज्बात नहीं बदलते,
बेईमानी से कमाई दौलत औकात नहीं बदलते।
मुसीबतों का यहाँ हर कोई मारा है,
पर सबसे बड़ा औकात हमारा है.
मेरी शराफत से लोगों को इतनी जलन है,
कि वो अपनी औकात दिखाने लगते है.
बात जब हुनर की होती है
तो वो अपनी दौलत दिखाने लगते हैं.