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Best Aaina Shayari, Bewafa Aaina Shayari In Hindi 2 Line

Best Aaina Shayari, Bewafa Aaina Shayari In Hindi 2 Line

आईना लेके जो भी आए हैं, हम भी उनका जमीर देखेंगे,
सब हैं तन्हा, सभी में खालीपन, आप किस किस की पीर देखेंगे.


अन्दाज अपना देखते हैं आइने में वो,
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो।


आईना नज़र लगाना चाहे भी तो कैसे लगाए,
काजल लगाती है वो आईने में देखकर.


हमनें खुद को पूरी कायनात में
सबसे ज्यादा खूबसूरत पाया.


एक छोटी सी स्माइल आ जाती है,
क्यूंकि मुस्कुराने की वजह तुम हो.


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तेरी आँखों में जब से मैंने अपना अक्स देखा है,
मेरे चेहरे को कोई आइना अच्छा नहीं लगता.


आईना नज़र लगाना चाहे भी तो कैसे लगाए,
काजल लगाती है वो आईने में देखकर.


वो कहते हैं हम उनकी झूठी तारीफ़ करते हैं,
ऐ ख़ुदा एक दिन आईने को भी ज़ुबान दे दे.


सँवरती है वो देखकर आईना,
सँवर जाए तो, आईना देखता है.


ये लकीरें ये नसीब ये किस्मत सब फरेब के आईने हैं,
हाथों में तेरा हाथ होने से ही मुकम्मल जिंदगी के मायने हैं.


उनकी आंखों के आईने में जब-जब
देखी अपनी छाया,

आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं,
मर जाये की जी जाये कोई उनकी बला से.


पूछते हैं मुझसे की शायरी लिखते हो क्यों,
लगता है जैसे आईना देखा नहीं कभी।

किरदार अपना पहले बनाने की बात क़र,
फिर आइना किसी को दिखाने की बात कर.

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आईना देखकर तसल्ली हुई,
हमको इस घर में जानता हैं कोई.


मैं तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर,
ना जाने हर रोज आईने पर क्या गुजरती होगी.


ख्वाब का रिश्ता हकीकत से ना जोड़ा जाए,
आईना हैं इसे पत्थर से ना तोड़ा जाए.


मेरे वजूद में ऐ काश तू उतर जाए,
मैं देखूं आईना और तू नजर आए,
तू हो सामने और वक्त ठहर जाए,
ये जिंदगी तूझे यूं ही देखते हुए गुजर जाए.


आईना कुछ नहीं नज़र का धोखा हैं,
नज़र वही आता हैं जो दिल में होता हैं.


मैं जानता हूँ फिर भी पूछता हूँ,
तुम आईना देख कर बताओ मेरी पसंद कैसी है


मैं आईना हूं टुटना मेरी फितरत हैं,
इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं.


किरदार मेरे का आईना तुम हो,
मिलोगे मुझसे तो मिलोगे खुद से.


आईने में दिखता है टूटा सा अक्स अपना,
जख्मों की चोट खाकर यूं चटक सा गया हूं.


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न देखना कभी आईना भूल कर देखो,
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा.


साहब वक़्त का आईना वहीं होता है एक जैसा,
बस उस आईने में किरदार बदलते रहते हैं.


आईना भी देखे तो देखता रहे तुम्हे,
खूबसूरती की वो मिसाल हो तुम.


अब कैसे संभालू मैं अपने टूटे दिल के टुकड़े को,
अपने ही दिल के आईने में देखो बिखर सा गया हूं.


हमारी  तडप तो कुछ भी नही है हुजुर  सुना है,
आपके दीदार के लिऐ तो आईना भी  इंतजार करता है.


आईना भी तुम्हे देख आहे भरता  होगा,
इतना भी खुद को निहारा ना कीजिये.


आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं, किरदार दिखा दे.


आईना देख के बोले ये सँवरने वाले,
अब तो बे-मौत मरेंगे मेरे पर मरने वाले.


हम आईना हैं आईना ही रहेंगे, फ़िक्र वो करें
जिनकी शक्लो में कुछ और, दिल में कुछ और है


प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं,
आईना देख के मुँह चूम लिया करते हैं.


देखना अच्छा नहीं ज़ानू पे रख कर आइना,
दोनों नाज़ुक हैं न रखियो आईने पर आइना.


बार बार आईना पोंछा मगर हर तस्वीर धुंधली थी,
न जाने आईने पर ओस थी या हमारी आँखें गीली थीं.


हमें माशूक़ को अपना बनाना तक नहीं आता,
बनाने वाले आईना बना लेते हैं पत्थर से.


आईना हूं तेरा, क्यूं इतना कतरा रहे हो,
सच ही कहूंगा, क्यूं इतना घबरा रहे हो .


शिक़ायत है, मुझे आईने से तुम्हारे,
तुम मुझसे मिलने आती हो,उससे मिलने के बाद.


आज टूट गया तो बचकर निकलते है,
कल आईना था तो रुक-रुक कर देखते थे.


आईने को भी खूबसूरत बना देगी,
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान.


झूठा है झूठ बात ये बोलेगा आईना,
आओ हमारे सामने हम सच बताएँगे.


तरस गये आपके दीदार को,
दिल फिर भी आपका इंतज़ार करता है,
हमसे अच्छा तो आपके घर का आईना है,
जो हर रोज़ आपका दीदार करता है.


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यु तो जलवे हजार हैं उनके
दिल हमारा जलाने को,
पर आज वो सवर रहे हैं
खुद को कत्ल हमारा करने को.


किरदार देख देखकर आईना भी गया है थक,
शख्स कोई तो हो हूबहू जिसका अक्स हो.


क्या करेंगे हम दिखावे से भरी दुनिया में,
यहाँ तो आईना भी फितरत से जुदा लगता है,
हमने शामिल किया जब दिल को अपने साथ कहीं,
अपना चेहरा भी बड़ा अजनबी सा लगता है.


मेरे ऐबों को तलाशना बंद कर दिया है लोगों ने,
मैंने तोहफ़े में उन्हें जब से आईना दे दिया है.


आईने भी तुझे कम पसंद करते है,
क्योकि उसे भी पता कि तुझे हम पसंद करते है.


आईना लेके जो भी आए हैं, हम भी उनका जमीर देखेंगे,
सब हैं तन्हा, सभी में खालीपन, आप किस किस की पीर देखेंगे.


आईना देखते हैँ वो छुप छुप के बार-बार,
कभी जुल्फेँ बिगाड़ कर कभी जुल्फेँ सँवार कर.


घर का आईना भी अब हक जता रहा है,
खुद तो वैसा ही है पर मेरी उम्र बता रहा है.


जब शक्ल कोई तन्हा कमरे में सँवरती है,
आईना ही जाने क्या उस पर गुजरती है.


शिक़ायत है, मुझे आईने से तुम्हारे,
तुम मुझसे मिलने आती हो,
उससे मिलने के बाद.


सब अपनी गरज़ के यार है तू दोस्ती की बात न कर,
वक्त बड़ा बेरहम है ये तुझे भी आईना दिखाएगा.


और भी खुबसूरत लगने लगती हूँ,
जब आईने मे नहीं खुद को, तुम्हारी आंखों मे देख लेती हूँ.


अपने इमान की हिफाजत खुद से हैं मुकमल,
रूह के मुआयने के लिए कोई आईना नहीं होता.


आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया,
दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया.


आईना कभी क़ाबिल-ए-दीदार न होवे,
गर ख़ाक के साथ उस को सरोकार न होवे.

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