Jhuut keh kar bhi khud ko sach saabit nahi kar pata
झूठ कह कर भी खुद को सच साबित नहीं कर पाता और सच खामोश रह कर भी साबित हो जाता है।
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झूठ कह कर भी खुद को सच साबित नहीं कर पाता और सच खामोश रह कर भी साबित हो जाता है।
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