अफ़सोस क़ानून के हाथ तो लम्बे होते हैं पर आँखे इतनी तेज़ नहीं होती की सच देख सके।
अफ़सोस क़ानून के हाथ तो लम्बे होते हैं पर आँखे इतनी तेज़ नहीं होती की सच देख सके।
इंसान उस दिन से कुछ भी कहने से बचने लगा जब से झूठ भी सच जैसा दिखने लगा।
सच कहने वालों की कमी हो गई क्यूंकि सच सुनना किसी को पसंद नहीं है।
झूठ कह कर भी खुद को सच साबित नहीं कर पाता और सच खामोश रह कर भी साबित हो जाता है।
ऐसा नहीं है की सच दिखाई नहीं देता बस उसे अनदेखा करने का दिखावा किया जाता है।
लोग जो मज़ाक मज़ाक में कह जाते हैं वही सच होता है बाकी तो सब झूठ होते हैं।
सच्चे इंसान की एक निशानी ये है की उसे कोई पसंद नहीं करता और झूठे आदमी की ये निशानी है की वो सबको पसंद करता है।
मुझे जब उसने धोखा दिया जिसकी आँखों में मुझे मेरे लिए प्यार दिखता था मैं समझ गया उस दिन से की आँखों देखा हमेशा सच नहीं होता।