सच की आवाज़ में इतनी चुभन होती है की कहने वालों की जुबां कट जाती है और सुनने वालों के कान के परदे फट जाते हैं।
सच की आवाज़ में इतनी चुभन होती है की कहने वालों की जुबां कट जाती है और सुनने वालों के कान के परदे फट जाते हैं।
ये कलियुग है साहब यहाँ सच पर सवाल खड़े हो जाते हैं, और झूठ को बैठे-बैठे सच मान लिया जाता है।
सच तो यह है की खुद को सच्चा कहने वाले सबसे बड़े झूठे होते हैं।
अफ़सोस क़ानून के हाथ तो लम्बे होते हैं पर आँखे इतनी तेज़ नहीं होती की सच देख सके।
मीठे झूठ का स्वाद सबकी जुबां को इतना भा गया हैं की लोगों ने कड़वे सोच बोलने ही छोड़ दिए हैं।
इंसान उस दिन से कुछ भी कहने से बचने लगा जब से झूठ भी सच जैसा दिखने लगा।
सच कहने वालों की कमी हो गई क्यूंकि सच सुनना किसी को पसंद नहीं है।
झूठ कह कर भी खुद को सच साबित नहीं कर पाता और सच खामोश रह कर भी साबित हो जाता है।
सच पर चाहे कितने ही परदे डाल लो वो एक ना एक दिन नंगा हो ही जाता है।
झूठ का सम्मान इतना बढ़ चूका है की लोग सच का सामना कर ही नहीं पाते।
मुँह झूठ का काला होता है पर दुनिया को सच दिखाई नहीं देता।
सच नहीं दवा कह लो साहब हर किसी की जुबां को ये कड़वा लगता है
ऐसा नहीं है की सच दिखाई नहीं देता बस उसे अनदेखा करने का दिखावा किया जाता है।
लोग जो मज़ाक मज़ाक में कह जाते हैं वही सच होता है बाकी तो सब झूठ होते हैं।
सच्चे इंसान की एक निशानी ये है की उसे कोई पसंद नहीं करता और झूठे आदमी की ये निशानी है की वो सबको पसंद करता है।
मुझे जब उसने धोखा दिया जिसकी आँखों में मुझे मेरे लिए प्यार दिखता था मैं समझ गया उस दिन से की आँखों देखा हमेशा सच नहीं होता।